नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार और पश्चिम बंगाल में युवाओं के बीच भाजपा पैठ बनाने में जुटी है। इसको लेकर बूथवार रणनीतियां बनाई जा रहीं हैं। हर बूथ से युवाओं को जोड़ने की तैयारी है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि वन बूथ-टेन यूथ के पुराने फॉर्मूले को एक बार फिर से आजमाया जा सकता है। हर बूथ पर कम से कम नए दस युवाओं को जोड़ने की कोशिश है ताकि हर बूथ पर युवाओं की टीम खड़ी हो सके, जो चुनाव प्रचार से लेकर मतदान के दिन पार्टी के लिए डटे रहें।
दरअसल, दोनों राज्यों में युवा आबादी की संख्या काफी ज्यादा है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में करीब पौने दो करोड़ युवा 18 से 29 साल के मतदाता थे। वहीं पश्चिम बंगाल में इस आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या डेढ़ करोड़ रही। इतनी बड़ी संख्या में युवा मतदाताओं को साधने के लिए सभी दल बेताब हैं। हर दल चुनाव से पहले युवाओं को जोड़ने के लिए नए-नए तरीके अपनाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने वन बूथ-टेन यूथ फॉमूर्ला धरातल पर उतारकर हर बूथ पर युवाओं की टीम खड़ी कर दी थी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, बिहार और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में युवाओं को जोड़ने के लिए पार्टी खास रणनीति पर काम कर रही है। बूथवार इसकी तैयारियां चल रहीं हैं। चूंकि चुनाव होने में अभी कुछ समय है, इसलिए अंतिम खाका अभी तय होना बाकी है।
भाजपा न केवल युवा मतदाताओं को लुभाने में जुटी है बल्कि पार्टी की आंतरिक संरचना में भी युवाओं पर भरोसा जताया जा रहा है। इस बार हुए संगठन चुनाव में भाजपा ने 40 साल से नीचे के मंडल अध्यक्ष और 50 साल से कम के जिलाध्यक्ष चुने हैं ताकि मंडल और जिलों में ऊजार्वान नेतृत्व तैयार हो सके। भाजपा संगठन और चुनावी तैयारियों के सिलसिले में युवाओं पर खासा फोकस कर रही है।
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