डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों शिवराज सिंह चौहान की सरकार के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठन से जुड़े प्रमुख लोग कोरोना की चपेट में हैं और इसके चलते तमाम राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां सीमित नजर आ रही हैं, मगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार को दौड़ते दिखाने की कवायद में जुटे हुए हैं।
राज्य में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और मरीजों की संख्या 29 हजार को पार कर गई है। राज्य का लगभग हर हिस्सा इस बीमारी की गिरफ्त में आ चुका है। आम से लेकर खास लोग तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।
कोरोना के मामले में राज्य सरकार की स्थिति पर गौर करें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा मंत्री अरविंद भदौरिया, तुलसीराम सिलावट और राज्यमंत्री राम खेलावन पटेल बीमार है, वहीं भाजपा के कई विधायक भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। मुख्यमंत्री चौहान भोपाल के कोविड-19 चिरायु अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती हैं।
एक तरफ जहां सरकार से जुड़े कई लोग कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं, प्रशासनिक अधिकारियों में संक्रमण है, वहीं भाजपा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, महामंत्री संगठन सुहास भगत के अलावा कई और भी नेता कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री चौहान अस्पताल में है मगर वे सरकार की गतिविधियां और सरकारी मशीनरी को गतिमान बनाए रखना चाहते हैं। यही कारण है कि अस्पताल में रहते हुए वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लगातार विभागीय समीक्षा कर रहे हैं और कोविड-19 पर नजर बनाए हुए हैं।
अस्पताल में भर्ती रहते हुए मुख्यमंत्री चौहान प्रदेशवासियों से लगातार अपील कर रहे है कि वे कोरोना से घबराएं नहीं, बल्कि लक्षण होने पर तुरंत जांच कराए और उपचार लें। ऐसा करने से अपने को सुरक्षित रखा जा सकता है। कोरोना हो ही न इसके लिए सभी सोशल डिस्टेंसिग, मास्क और हाथ धोने का क्रम बनाए रखें।
कांग्रेस राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण केा लेकर प्रदेश की सरकार और भाजपा पर हमले कर रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री चौहान सिर्फ अपना वजूद बचाने की कोशिश कर रहे हैं। जब वे 14 दिन के लिए अस्पताल गए है तो उन्हें कार्यवाहक नेता बनाना चाहिए था, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उन्हें अपने अस्तित्व की चिंता है। वास्तव में चौहान के पास ऐसा कोई विभाग ही नहीं है जिसका जनता से नाता हो, वे अगर सिर्फ आराम करते तो राज्य की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि विभागों के कैबिनेट मंत्री है।
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि राजनेताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश तो सभी को दिया मगर पालन नहीं किया, उसी का नतीजा है कि बडी संख्या में नेता कोरोना पॉजिटिव हुए है। राजनीति में सक्रिय दिखने की हर कोई कोशिश करता है, मुख्यमंत्री भी अस्पताल में रहकर अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं।
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