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NEP: Changes in education policy in the country after 34 years, learn about 10 points | NEP: देश में 34 साल बाद आई शिक्षा नीति में बदलाव, 10 बिंदुओं में जानें क्या खासियत



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने हेतु गठित समिति द्वारा तैयार किए गए एनईपी 2019 और उस पर प्राप्त हितधारकों की प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों के आधार पर इसे तैयार किया गया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी। 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए। लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी, बॉटम-अप परामर्श प्रक्रिया की गई।

नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने टीएसआर सुब्रहमण्यन, भारत सरकार के पूर्व मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में 5-सदस्यीय समिति गठित की। जिसने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 2016 को प्रस्तुत की थी। 24 जून, 2017 को सरकार ने प्रख्यात वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 31 मई, 2019 को अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी।

इस प्रकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने से पहले मंत्रालय द्वारा प्रारूप एनईपी 2019 एवं उस पर प्राप्त सुझावों, विचारों और प्रतिक्रियाओं का गहन और व्यापक परीक्षण किया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय लोकाचार में निहित एक वैश्विक सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली के निर्माण की परिकल्पना करती है और सिद्धांतों के साथ संरेखित है, ताकि भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित किया जा सके।

नई NEP के बारे में जानने के लिए 10 महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं

  1. बोर्ड परीक्षाएं मॉड्यूलर रूप में हो सकती हैं, अब बोर्ड परीक्षा रट्टा मारकर याद रखने वाले सिद्धांत को हतोत्साहित करते हुए ज्ञान और योग्यता आधारित होंगी।
  2. मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।
  3. सभी उच्च शिक्षा संस्थानों, कानूनी और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर, एकल नियामक यानी सिंगल रेगुलेटर द्वारा होगी।
  4. केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए सामान्य मानदंड अपनाया जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस में शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि आज की तारीख तक हमारे पास अलग-अलग स्टैंडअलोन संस्थानों के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग मानदंड हैं। नई शिक्षा नीति कहती है कि गुणवत्ता के कारणों के लिए मानदंड सभी के लिए समान होंगे, न कि स्वामित्व के अनुसार।
  5. नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली आम प्रवेश परीक्षा होगी। ये परीक्षा एनटीए यानी नेशनल टेस्ट‍िंग एजेंसी कराएगी।
  6. स्कूल पाठ्यक्रम को मेन कॉन्सेप्ट में कम किया जाएगा। इसके साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण शामिल है।
  7. नई नीति 2035 तक हाई स्कूल के 50% छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच का विस्तार करना चाहती है, और इससे पहले सार्वभौमिक वयस्क साक्षरता (universal adult literacy ) प्राप्त करना है।
  8. मंत्रिमंडल ने तय किया है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 6% तक शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाया जाए जो कि अभी करीब 4.43 प्रतिशत के करीब है।
  9. सरकार 2030 तक प्री स्कूल से सेकेंड्री लेवल यानी माध्यमिक स्तर तक 100% ग्रॉस एनरोलमेंट के अनुपात को लक्षित कर रही है।
  10. 5वीं कक्षा तक मातृभाषा शिक्षा का एक माध्यम बनाया जाए।
     



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