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Better steps to open schools with security measures: Delhi government | स्कूलों को सुरक्षा उपायों के साथ खोलना बेहतर कदम : दिल्ली सरकार



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर कुछ बड़े प्रयोगों करने पर सुझाव दिया है। सिसोदिया ने देश में स्कूलों को फिर से खोलने से पहले कई गंभीर विषयों पर रचनात्मक और साहसिक तरीकों से विचार करने पर बल देते हुए लिखा, कोरोना के बाद अब पुराने तरीके से पढ़ाई नहीं चल सकती। अब शिक्षा में बड़े बदलाव की जरूरत है। ऐसे बदलाव के लिए हम खुद आगे बढ़कर पहल करें, न कि विदेशों में कोई नई चीज होने का इंतजार करें और फिर उसकी नकल करें।

मनीष सिसोदिया ने अपने पत्र में कहा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ समय पहले कहा था कि हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। ऐसे में स्कूलों को उचित सुरक्षा उपायों के साथ खोलना ही बेहतर कदम होगा। सिसोदिया ने लिखा है कि सबसे पहले, हमें हर बच्चे को भरोसा दिलाना होगा कि वह हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। अपने स्कूल के भौतिक और बौद्धिक परिवेश पर सबका समान अधिकार है। केवल ऑनलाइन क्लास से शिक्षा आगे नहीं बढ़ सकती। केवल बड़े बच्चों को स्कूल बुलाना और छोटे बच्चों को अभी घर में ही रखने से भी शिक्षा को आगे बढ़ाना असंभव होगा।

पत्र के अनुसार, ऑनलाइन शिक्षा को स्कूल में सीखने की प्रक्रिया की एक पूरक व्यवस्था के तौर पर देखा जाना चाहिए। यह उसका विकल्प नहीं हो सकती। स्कूलों को खोलने के लिए जो भी दिशा-निर्देश जारी हों, उसमें हर उम्र और हर वर्ग के बच्चे को बराबर अवसर देना होगा। यह ध्यान रखा जाए कि हमारा अगला कदम बड़े बच्चों को छोटे बच्चों के ऊपर प्राथमिकता देने के पूर्वाग्रहों पर आधारित न हो।

सिसोदिया ने लिखा कि आईसीएमआर द्वारा किए गए कोविड-19 सम्बन्धी अध्ययनों में यह सामने आया है कि कोरोना वायरस का असर 9 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों पर सबसे कम रहा है। सिसोदिया ने सुझाव दिया है कि हमें सिलेबस को थोड़ा कम करते हुए स्कूली शिक्षा को आगे जारी रखने पर जोर देने की बजाय, अब ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि हम साल दर साल सिलेबस पूरा किए जाने की अवधारणा से ही ऊपर उठ जाएं।

पत्र में सिसोदिया ने सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी ग्रेड की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के ठोस सुझाव दिए हैं। उन्होंने लिखा है कि एनसीईआरटी और सीबीएससी को यह निर्देश दिए जाएं कि स्टूडेंट्स को सिलेबस आधारित रटंत-परीक्षा के चंगुल से मुक्त कराएं।



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