
भोपाल, 14 जून (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा उप-चुनाव के लिए भाजपा ने जमीनी तैयारी तेज कर दी है और इसके लिए वह कांग्रेस के मजबूत स्तंभों को ढहाने में जुट गई है। पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने का सिलसिला बना हुआ है।
राज्य में आगामी समय में होने वाले 24 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों ही दल इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। यही कारण है कि दोनों दल अपने स्तर पर तैयारियां करने में लगे हैं और असंतुष्टों को लुभाने के प्रयास जारी हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद तत्कालीन 22 विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किए जाने से सियासी गतिविधियों पर विराम लग गया था, मगर लॉकडाउन के पांचवें चरण अथवा अनलॉक के पहले चरण में भाजपा ने अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश तेज कर दी। यही कारण रहा कि इंदौर के सांवेर, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी के कई नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। भाजपा अपने पुराने कार्यकर्ता और नए कार्यकर्ताओं के जरिए सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा लगातार कार्यकर्ताओं से वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद कर रहे हैं। वही आगामी समय में होने वाले चुनाव के लिए अभी से रणनीति पर अमल तेज कर दिया गया है। कार्यकर्ताओं से घर-घर संपर्क करने का अभियान चलाया जा रहा है। पार्टी में जो असंतुष्ट कार्यकर्ता हैं उन्हें समझाने बुझाने का कार्य भी चल रहा है।
भाजपा की कोशिश है कि चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले जमीनी स्तर पर जमावट को पुख्ता कर लिया जाए।
राज्य की कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा, भाजपा और प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार गांव, गरीब और किसान के लिए काम कर रही है। कांग्रेस की सरकार ने सिर्फ वादे किए थे और लोगों को छला था। यही कारण था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ा। आगामी उप-चुनाव में आम मतदाता का भाजपा को साथ मिलेगा और 24 सीटों पर पार्टी जीतने में सफल रहेगी।
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है, विधानसभा के उप-चुनाव की तैयारियों के मामले में भाजपा का आगे होना लाजिमी है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह सत्ता में है, उसके लगभग सभी उम्मीदवार तय है तो उसे संभावित असंतोष का मुकाबला भी करना है। वहीं कांग्रेस के सामने पहले तो उम्मीदवार के चयन की समस्या है और उसके बाद ही बात आगे बढ़ेगी।
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