डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर चीन के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें उसने कहा था कि विवादित क्षेत्रों में से ज्यादातर में उसकी पीछे हटने (डिसएंगेजमेंट) की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया में थोड़ी प्रगति देखने को मिली है लेकिन पूरी प्रक्रिया होनी अभी भी बाकी है।
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों की मिलिट्री के सीनियर कमांडरों की बैठक ‘निकट भविष्य’ में होगी ताकि वे डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कदम उठा सकें। हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष डी-एस्केलेशन और डिसएंगेजमेंट के लिए हमारे साथ ईमानदारी से काम करेगा। बता दें कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में लंबे समय से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर विवाद चल रहा है। इसे सुलझाने के लिए दोनों देश बातचीत में डिसएंगेजमेंट के लिए राजी हुए थे।
क्या कहा चीनी विदेश मंत्रालय ने?
इस हफ्ते की शुरुआत में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से एक रूटीन प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक चीनी पत्रकार ने पूछा था कि क्या भारत और चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों से डिसएंगेजमेंट पूरा कर लिया है? इस दौरान पैंगॉन्ग त्सो का जिक्र नहीं किया गया था। इस पर वांग वेनबिन ने जवाब दिया, ‘चीन और भारत ने हाल ही में सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से काफी कम्युनिकेशन किया है। ज्यादातर में उसकी पीछे हटने (डिसएंगेजमेंट) की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है।
लद्दाख के इलाकों पर चीन की नजर
बता दें कि भारत और चीन के बीच दो महीने से भी ज्यादा समय से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। पैंगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोली नहीं चली। बातचीत के जरिए दोनों देश इस विवाद को सुलझानें की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका है।
डिसएंगेजमेंट के लिए तैयार हुए थे दोनों देश
30 जून को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में दोनों देश डिसएंगेजमेंट के लिए तैयार हुए थे। डिसएंगेजमेंट प्लान में तय हुआ था कि सेना धीरे-धीरे 2.5 से 3 किलोमीटर पीचे हटेगी और LAC के करीब बनाए गए मिलिट्री बिल्ड-अप को भी हटाया जाएगा। उधर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने 5 जुलाई को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बात की थी। इस बातचीत में भी दोनों देशों के बीच सेना को फेज़ वाइज़ पीछे हटाने पर सहमति बनी। इसके बाद चीन की सेना पेट्रालिंग प्वाइंट 14, 15 और 17A पर टेंट और स्ट्रक्चर हटाते दिखाई दी थी। चीनी सेना ने अपने वाहनों को भी करीब 2 किलोमीटर पीछे हटा लिया था।
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