डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। फ्रांस से पांच राफेल विमानों की पहली खेप के भारत पहुंचते ही पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ गई है। पाकिस्तान अब विश्व समुदाय से गुहार लगा रहा है। पाक विदेश मंत्रालय गुरुवार को कहा कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों से कहीं ज्यादा हथियार जुटाने में लगा हुआ है। उसने विश्व समुदाय से गुहार लगाई है कि वह भारत को हथियार जमा करने से रोके। इससे दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है।
एक साप्ताहिक प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता आइशा फारूकी ने विश्व समुदाय से गुहार लगाते हुए भारत के हथियारों के निर्माण और संयोजन को रोके जाने की बात कही है। उन्होंने यह हवाला दिया है कि इससे दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ बढ़ सकती है। आइशा ने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है कि भारत अपनी वास्तविक रक्षा जरूरतों से परे सैन्य क्षमताओं को हासिल करना जारी रखे हुए है। विश्वसनीय और प्रतिष्ठित अंतराष्ट्रीय शोध संस्थानों के अनुसार, भारत अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है।
बेचैन हुआ पाकिस्तान
नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास गोलाबारी और टकराव के बीच भारत पहुंचे राफेल ने पाकिस्तान के लिए बेचैनी पैदा कर दी है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पहले भी भारत की ओर से हथियारों के संयोजन पर रोना रोता रहा है। उसका कहना है कि यह दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।
दोहरे मोर्चे पर सीधी लड़ाई में निर्णायक साबित हो सकता है राफेल
दरअसल, राफेल लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान के दोहरे मोर्चे पर सीधी लड़ाई में निर्णायक साबित तो हो ही सकता है, साथ ही वह गैर पारंपरिक तरीके से भी छिपकर युद्ध कर रहे दुश्मन की मांद में घुसकर उसे नेस्तनाबूद करने की भी क्षमता रखता है। 5 राफेल की पहली खेप 29 जुलाई को हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर पहुंच चुकी है। यह भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। भारत में इस आमद के बाद पाकिस्तान ने हायतौबा मचाना शुरू कर दिया है।
अंबाला में राफेल की तैनाती पाकिस्तान के डर का कारण
अंबाला एयरबेस भारत की पश्चिमी सीमा से 200 किमी दूर है और पाकिस्तान के सरगोधा एयरबेस के भी नजदीक है। यहां पर तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा। इस एयरबेस की चीन की सीमा की दूरी भी 200 किमी है। अंबाला एयरबेस से 300 किमी दूर लेह के सामने चीन का न्गारी गर गुंसा एयरबेस है। सामरिक रूप से बेहद अहम इस एयरबेस पर राफेल से पहले जगुआर और मिग-21 बाइसन जैसे लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया जा चुका है।
बुधवार को फ्रांस से भारत पहुंचे थे पांच राफेल
गौरतलब है कि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन के साथ 36 राफेल विमानों का सौदा करने के करीब चार साल बाद भारत को पांच राफेल विमानों की पहली खेप बुधवार को प्राप्त हुई। बाकी बचे 31 जेट 2022 तक मिलने की उम्मीद है। 8 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस जाकर राफेल की पूजा की थी। उस पूजा के ठीक 9 महीने और 21 दिन बाद राफेल हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर हुआ। इससे पहले भारत ने 1997-98 में रूस से सुखोई खरीदे थे। तीन साल बाद यानी 2001 में नए फाइटर जेट खरीदने का फैसला हुआ। 14 साल बाद 2012 में राफेल शॉर्टलिस्ट हुआ। लेकिन उसे भारत पहुंचने में आठ साल लग गए।
रक्षा मंत्री बोले- सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा था कि राफेल विमानों के साथ से भारतीय वायुसेना भारत के समक्ष आने वाली किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए और मजबूत हो गई है, साथ ही जो लोग देश की सम्प्रभुता को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखते हैं उनमें इस नयी ताकत से भय व्याप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। यह मल्टीरोल एयरक्राफ्ट हमारी वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे।
परमाणु मिसाइल ले जाने की क्षमता राफेल की खासियत
राफेल हवा में सिर्फ 28 किमी प्रति घंटा की बहुत धीमी रफ्तार से उड़ने के साथ-साथ 1,915 किमी/घंटे की तेज रफ्तार भी पकड़ सकता है। ये न सिर्फ हवा से हवा में मार सकता है, बल्कि हवा से जमीन में भी हमला करने में सक्षम है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में ये खूबी नहीं है।
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