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Where there is no road, corona vaccine will reach by drone, corona will be eradicated by medcopter | जहां सड़क नहीं वहां ड्रोन से पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन, मेडकॉप्टर से मिटेगा कोरोना



डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। कोरोना मिटाने के लिए देश में एक और क्रांतिकारी कदम उठाने की तैयारी पूरी हो गई है। 18 जून यानि आज ही की तारीख वो ऐतिहासिक दिन है जब देश के दूरदराज के इलाको में ड्रोन से कोरोना वैक्सीन पहुंचाई जाएगी। आसान भाषा में कहें तो जिन इलाकों में सड़क या कोई आसान पहुंच मार्ग नहीं है वहां ड्रोन से वैक्सीन पहुंचाई जाएगी। इस काम के लिए आज बेंगलुरू में ड्रोन उड़ान भरेंगे। जिन्हें फिलहाल नाम दिया गया है मेडकॉप्टर।

बेंगलुरू में होगी शुरूआत
थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स नाम की एक कंपनी आज से बैंगलुरू में इसकी शुरूआत करेगी। मुख्य शहर से तकरीबन 80 किमी दूर गौरीबिदनुर में ट्रायल शुरू होगा। जो कम से कम 30 से 45 दिन तक जारी रहेगा। जिस ड्रोन से वैक्सीन डिलेवरी का काम शुरू होगा उसे बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट मेडिकल ड्रोन कहा जाता है। बेंगलुरू में ये ट्रायल शुरू करने से पहले सुरक्षा से जुड़े तमाम बिंदुओं पर भी विचार हो चुका है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला होने की वजह से तमाम जिम्मेदार एजेंसियों ने सोच समझ कर ये तैयारी की है। रूट प्लानिंग से लेकर, उड़ान का वक्त और दिशा सब पर चर्चा हुई है। उसी के बाद सौ घंटे की प्रायोगिक उड़ान भरने का फैसला हुआ है।
एक बार सफल होने के बाद ये प्रयोग सिर्फ वैक्सीन डिलेवरी तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि कई अन्य कामों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। बेंगलुरू के अलावा तेलंगाना में भी ड्रोन से वैक्सीन सप्लाई पर प्रयोग जारी रहेंगे।

वैक्सीन पहुंचाने वाले मेडकॉप्टर की खासियत
ये ड्रोन एक किलोग्राम तक वजन उठा कर उड़ान भरने में सक्षम है। 
एक बार में पंद्रह किमी तक उड़ान भर सकता है। 
ड्रोन का दूसरा वर्जन दो किग्रा वजन उठाने में सक्षम है
इस वजन के साथ इसकी उड़ान बारह किमी तक हो सकती है।
ड्रोन किसी अन्य साधन के मुकाबले सस्ता भी पड़ेगा। इसकी तीस किमी तक की उड़ान पर 5 सौ से 6 सौ रुपये तक का खर्च आंका गया है। जो किसी अन्य साधन से बेहद कम है।
जिन इलाकों में सड़कों का नेटवर्क नहीं है या बारिश में आवागमन के रास्ते बंद हो जाते हैं वहां पर इस प्रक्रिया से वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाएगी। 
कर्नाटक और तेलंगाना में ये प्रयोग सफल होने के बाद देश के अन्य इलाकों में भी इसे शुरू किया जाएगा। पर इसके लिए डीजीसीए की अनुमति जरूरी होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रयोग सफल होने पर इस मानसून से ही ड्रोन वैक्सीनेशन के काम में तैनात हो जाएंगे। 

 



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